अकेला मन और अकेली रात अकेले से हम करते है अकेले अकेले तुम से ही बात और इस अकेलेपन में मन में उठती है एक चोट मन में है बहुत सारे जज्बात अकेले से इस घरोंदे में अकेलेपन में भी कुच्छ कहने को नहीं है आज पा लिया है हर चीज़ या खो दिया हर पल खुद से लड़ा या लड़ा तुमसे आज कहना चाहता हु हर वाकया पर गले में नहीं है संस्कार काश ये वाणी पहले गूंगी हो जाती या मेरी वाणी हरती नहीं तुमको या समझ में आता की कहने से बड़ी होती है सुननी बा...