क्या लिखूं मैं ?
क्या कुछ ऐसा लिखूं जिससे सब
खुश या आँखे खुश्क कर जाए
या फिर कुच्छ संवाद किसीको
प्रेरित कर जाए
आज बस सोचा है कुच्छ ना
लिखूंगा
सोचे हुए शब्दों की विवेचना
करूँगा
फिर से ठण्ड में ठिठुरते हुए
उस घर से बेघर बुद्धे की व्यथा
या फिर सजनी की साजन के लिए निरर्थक इंतज़ार
में निरर्थक सजने की कथा
फिर से बचपन में छुप छुप के कॉमिक्स
पढने में मज़े की सजा
या फिर उन इन्किलाबी नारों में
खोखले से वादों की प्रथा
फिर से विचारो से लड़ते हुए उस
नौजवान की विडम्बना
या फिर उस चींटी से फिर से गिर कर
चल कर मंजिल तक पहुचने की साधना
क्या कुछ ऐसा लिखूं जिससे सब
खुश या आँखे खुश्क कर जाए
या फिर कुच्छ संवाद किसीको
प्रेरित कर जाए
आज बस सोचा है कुच्छ ना
लिखूंगा
सोचे हुए शब्दों की विवेचना
करूँगा
Write anything you want as you write brilliantly... like a dream, full of colours and angst which comes from contemplating the world from the heart
ReplyDelete2 muchh.. :-)
ReplyDeleteAnonymous, not too much...you write so beautifully...keep writing is all I can say..
ReplyDeletethanks to one n all... the positive comments spur me on.. but wld like to have some constructive comments as well ... i dont think yu all wld like me to limit myself
ReplyDeletearrogance
ReplyDeleteBahutu ache hai
ReplyDeleteDidi
After I read this, I m thinking 'Kya Likhun Main?'...
ReplyDelete"फिर से बचपन में छुप छुप के कॉमिक्स पढने में मज़े की सजा "
ReplyDeleteGood one bro ...seriously this is a good stuff that you have written