मेरी एक आँख में अभी नींद सोयी है
और दूसरी आँख उठना चाहती है
सुगबुगाई है एक आँखों में उठने की आकांछा
और दूसरे आँख में अकर्ष भर रहा है
ये सोने वाली आँख क्रोधित है
उसे पता है दूसरी आँख ही जीतेगी
फिर भी हांथों का सहारा ले कर
बंद करवा रही है वो अपने सहचर को
जगने वाली आँख मन के साथ
साँठ गांठ बना रेही है,
सुबह की लालिमा से सारी ऊर्जा लेकर
नभ से आगे जाना चाहती है
शायद दोनों आंखो को पता है
क्या करना है क्या पाना है
फिर भी दिनचर्या है उनका
एक को सोना है
एक को कुच्छ कर जाना है
very nice bhaiya ....
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