हम ऐसे गर्भ नहीं थे जिसे
अजन्मे मार दिया जाता
माँ के हाथ खाली थे हमे थामने के लिए
हम नहीं थे उन दंगो में जहां जाने गयी
ना ही हम वहाँ थे जहा जलजले हुए
हम नहीं थे 9/11, 7/7, 26/11 या इन बहुत सारी तारीखों में
उन दीनों कभी नहीं थे दिल्ली , मुंबई, या गुजरात में
कभी ऐसी ट्रेन नहीं ली जो कहीं पहुंची ही नहीं
बस फंसे रहे घर के बिछाये हुए फँदो से
कहीं नहीं है हम जहां जीवन हार रही है
अभी बस यहाँ है
जोड़ रहे है क्या खोया और क्या पाया है
लेकिन हम को यकीन है
गलत वक़्त पर हम कभी भी कहीं नहीं थे
speechless!
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