हर एक बात पे हार जीत " इसमे मेरा क्या " है इसपे विचार हर चीज बन गया है एक व्यापक बाज़ार बस करो और हार जीत की चिंता न करो तो लोग कहते है आपको बस हार है स्वीकार लगता है भूल गए है लोग गीता का सार
हम रोये तो लगा जमाना रोता है सच बोले तो हर रोज़ यहाँ एक नया फसाना होता है कहीं खनकते जाम खुशी के कहीं भूके पेट बेचारा सोता है दामन अपना खाली देख मत रो उतना ही मिलता है जितना तू बोता है